FII और DII क्या है और यह शेयर बाजार को कैसे प्रभावित करते है।

 FII और DII क्या है और यह शेयर बाजार को कैसे प्रभावित करते है। 

शेयर बाजार में निवेश करने वाले हर इंसान ने अक्सर यह सुना होगा कि शेयर बाजार में कई तरह के निवेशक होते हैं जिनमें FII, DII और रिटेल निवेश होते हैं। 

FII और DII क्या है और यह शेयर बाजार को कैसे प्रभावित करते है।

 आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि FII और DII इन्वेस्टर कौन होते हैं और उनके इन्वेस्टमेंट का क्या असर पड़ता है ।


FII निवेशक क्या है।


FII को फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के नाम से जाना जाता है । और इसको आमतौर पर विदेशी निवेशक बोलते हैं  । भारत में अगर कोई भी एक विदेशी संस्थागत निवेश आता है जिसमें कोई कंपनी या कोई इंस्टीट्यूशन निवेश करती है तो उसको FII या फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट कहते हैं ।


FII अपनी सारी पूंजी का 10% तक किसी एक कंपनी में निवेश कर सकते हैं । भारत सरकार और सेबी ने 2014 में एफआईआई के लिए नियम और कानून बनाए थे ।

 

एफआईआई का शेयर बाजार पर प्रभाव


जब भी कोई एफआईआई या विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करता हैं तो यह एक अच्छी अप्रोच होती है । 


एफआईआई के निवेश का मतलब यह भी है की उस शेयर में या उस  कंपनी में विदेशी संस्थागत निवेशक की रुचि है । इससे उसे शेयर की प्राइस बढ़ती है । यही चीज पूरे बाजार के लिए होती है । 


 जैसे ही भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों का पैसा आता है तो इसका मतलब यह होता है अब बाजार ऊपर जाएगा इस तरह से शेयर बाजार को अच्छा प्रभाव डालता है ।


DII क्या है।

डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को DII कहते हैं । यह घरेलू संस्थागत निवेशक होते हैं । हमारे देश के कुछ अच्छे फंड हाउस , म्युचुअल फंड , इंश्योरेंस कंपनी आदि होते हैं जो DII के तौर पर काम करते हैं उदाहरण के लिए एलआईसी आती है ।



DII का शेयर बाजार पर प्रभाव


जिस तरह से एफआईआई शेयर बाजार को प्रभावित करते है उसी तरह से DII भी बाजार को प्रभावित करता है ।


अगर DII शेयर बाजार में ज्यादा खरीद करते हैं तो इसका मतलब यह हैं की अब बाजार ऊपर जाएगा ।

और वहीं पर अगर DII ज्यादा बिकवाली करते हैं तो शेयर मार्केट में डाउन ट्रेड हो जाता है ।


यहां पर यह देखने वाली बात जरूर है कि FII और DII  का डाटा कई बार अलग भी हो सकता है,  और उनके बीच कंपटीशन चलता रहता है । उदाहरण के लिए अगर FII संस्थाएं शेयर बाजार में बिक्री कर रही है तो DII शेयर बाजार में खरीदारी भी कर सकती है । इसलिए शेयर बाजार को एनालिसिस करते रहना जरूरी होता है। 


FII और DII डाटा कहा देखे


शेयर बाजार में जब-जब ट्रेडिंग होती है तो एफआईआई और DII का ट्रेड का डाटा निकाला जाता है । और यह ट्रेड का डाटा रोजाना शेयर बाजार में अपलोड होता है । आप रोजाना का FII और DII  की ट्रेडिंग एक्टिविटीज को यहां से देख सकते हैं ।



निष्कर्ष

 अब तक आपने देख लिया कि FII विदेशी संस्थागत निवेशक होते हैं और DII घरेलू संस्थागत निवेशक होते हैं । ये सब वह निवेशक होते हैं जिनके पास बहुत ज्यादा पैसे होते हैं ।


और यह पैसे को बाजार में लिस्टेड कंपनी में लगाते हैं । जैसे ही यह इतना ज्यादा पैसा किसी एक कंपनी में लगता है तो यह उसे कंपनी के लिए एक आत्मविश्वास बढ़ाने वाली चीज होती है ।  जिससे उसके शेयरों की प्राइस बढ़ती जाती है।  इस तरह से एफआईआई और DII का ज्यादा निवेश किसी भी कंपनी या किसी भी बाजार के लिए अच्छा होता है ।


 संक्षेप में हम कह सकते हैं कि FII और DII  का निवेश घरेलू निवेशक और रिटेल निवेशकों को अपने निवेश के निर्णय को लेने में मदद करते हैं । इन संस्थागत निवेशकों के पास एक काफी अच्छे रिसर्च टीम होती है जो FII और DII  को हेल्प करती है जिससे वह शेयर बाजार में अच्छी कंपनी में निवेश करते हैं ।


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